सुख सागर करुणानिधि सत्गुरु प्यारे हैं।
सब जग के ईश्वर सब दिल के सहारे हैं।।
नाम का जहाज बना के सबको है पार किया।
शरणागत के प्रभु पालनहारे हैं।।
सुख.......
सबसे प्यारा जग में नाम है सत्गुरु का।
नाम का सिमरण करो, मिलते सुख सारे हैं ।।
सुख.......
तो आवाज ठिठक जाती है।
शेष,महेश,शारदा पार नहीं पा सकते।
नेति नेति कहत सब, वेद भी हारे।
सुख.......
काम, क्रोध, लोभ, मोह दुविधा निवारी है।
सत्गुरु की कृपा से, पाये गुण सारे हैं।।
सुख.......